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विजय पर्व दशहरा

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विजय पर्व दशहरा

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राम समन्दर सेतु हित, कपि गण नल हनुमंत।
सतत किए श्रम साधना, कृपा दृष्टि सियकंत।।

किए सिन्धु तट स्थापना, पूजे सहित विधान।
रामेश्वर शुभ रूप शिव, जगत रहा पहचान।।

सैन्य चढ़ी गढ़ लंक पर, दल ले भालु कपीश।
मरे दनुज बहु वीर भट, सजग राम जगदीश।।

कुम्भकर्ण घननाद से, मरे दनुज दल वीर।
राक्षसकुल का वह पतन, हरे धरा की पीर।।

सम्मति सोच विचार के, कर रावण से युद्ध।
मारे लंक कलंक को, करने वसुधा शुद्ध।।

शर्मा बाबू लाल भी, करता लिख कर गर्व।
मने सनातन काल से, विजयादशमी पर्व।।

‘विज्ञ’ करे शुभकामना, हो जग का कल्याण।
रावण जैसे भाव तज, मिले मनुज को त्राण।।


बाबू लाल शर्मा, बौहरा, विज्ञ
निवासी – सिकन्दरा, दौसा
राजस्थान ३०३३२६

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