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विकास यात्रा पर कविता-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

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विकास यात्रा

निकला था वह
विकास यात्रा में

कमाया
अपार धन

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अर्जित किया
अपार यश

अब उसे
भूख नहीं लगती
नींद नहीं आती

अब केवल
अपनी तृष्णा के सहारे
जीवित है
विकास यात्री।

— नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479

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