विश्व एड्स दिवस की कविता
विश्व एड्स दिवस की कविता
मानव रखना ज्ञान को,एडस घातक रोग।
यौन रोग कहते इसे,फँसते इसमें लोग।।
फँसते इसमें लोग,एचआईवी कहते।
जननांगों में घाव,गले में सूजन रहते।।
ज्वर आते हैं देह,लगा बढ़ने यह दानव।
रोको इसकी वृद्धि,सावधानी से मानव।।
राजकिशोर धिरही
छत्तीसगढ़