विश्व पर्यावरण दिवस पर सपना के दोहे( sapna’s dohe based on wirld environmental day)
विश्व पर्यावरण दिवस पर सपना के दोहे( sapna’s dohe based on wirld environmental day)
सरिता अविरल बह रही, पावन निर्मल धार ।
मूक बनी अविचल चले, सहती रहती वार ।।
मूक बनी अविचल चले, सहती रहती वार ।।
हरी-भरी वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार ।
बनी रहे जल शुद्धता, धुलते सकल विकार ।।
बनी रहे जल शुद्धता, धुलते सकल विकार ।।
नदियाँ है संजीवनी, रखलो इनको साफ ।
नदियाँ गंदी जो हुई, नहीं करेंगी माफ ।।
नदियाँ गंदी जो हुई, नहीं करेंगी माफ ।।
छतरी है आकाश की, ओजोन बना ताज ।
उड़ा नहीं सी एफ सी, यही निवेदन आज ।।
उड़ा नहीं सी एफ सी, यही निवेदन आज ।।
करो प्रदूषित जल नहीं, ये जीवन का अंग ।
निर्मल पावन स्वच्छता, जो डालो वो रंग ।।
निर्मल पावन स्वच्छता, जो डालो वो रंग ।।
*अनिता मंदिलवार सपना*
अंबिकापुर सरगुजा छतीसगढ़
अंबिकापुर सरगुजा छतीसगढ़