विवेकानंद जी को शब्दांजलि – बाबू लाल शर्मा
विवेकानंद जी को शब्दांजलि-बाबू लाल शर्मा
विवेकानंद जी को शब्दांजलि-बाबू लाल शर्मा
विभा—
विभा नित्य रवि से लिए, धरा चंद्र बहु पिण्ड!
ज्ञान मान अरु दान दो, रवि सम रहें प्रचंड!!
विभा विवेकानंद की, विश्व विजेत समान!
सभा शिकागो में उदय, हिंद धर्म विज्ञान!!
चंद्र लिए रवि से विभा, करे धरा उजियार!
ज्ञानी कवि शिक्षक करे, शशिसम ज्ञान प्रसार!!
विभात—-
रवि रथ गये विभावरी, नूतन मान विभात!
संत मनुज गति धर्मपथ, ध्रुवसम विभा प्रपात!!
रात बीत फिर रवि उदय, ढले सुहानी शाम!
होता नित्य विभात है, विधि से विधि के काम!!
विभूति–
रामकृष्ण थे संतवर, परमहंस गुण छंद!
पूजित महा विभूति गुरु, शिष्य विवेकानन्द!!
संत विवेकानंद जी, ज्ञानी महा विभूति!
गृहण युवा आदर्श कर, माँ यश पूत प्रसूति!!
शर्मा बाबू लाल मैं, लिख कर दोहे अष्ट!
हे विभूति शुभकामना, मिटे देश भू कष्ट!!
© बाबू लाल शर्मा,बौहरा,विज्ञ