नशा पर कविता- नशा शराबी जब तजे करे जगत सत्कार-रमा
नशा पर कविता
इन्हें भी पढ़ें
CLICK & SUPPORT
देख शराबी की दशा,
नशा करे मदमस्त।
अपने तन की सुध नहीं,
करता जीवन ध्वस्त।।
नित्य शराबी मद्य का,
करता है रसपान।
लोग सदा निंदा करें,
पाता जग अपमान।।
पत्नी बच्चे हैं दुखी,
देख शराबी चाल।
नोंक झोंक घर में चले,
मचता अजब धमाल।।
नशा शराबी के लिए,
श्रेष्ठ पेय है जान।
उसके लत में डूबकर,
खुद को कहे महान।।
मन माने सब पी रहे,
जग शराब भरमार।
नशा शराबी जब तजे,
करे जगत सत्कार।।
~ मनोरमा चन्द्रा “रमा”
रायपुर (छ.ग.)