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तेरी यादों का सामान

कविता संग्रह
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तेरी यादों का सामान अभी भी पड़ा है मेरे पास
जो दिलाता है तेरे करीब होने का अहसास।
कुछ मुस्कुराहटें जो दिल में घर कर गई,
और कुछ चाहतें जो मुझे पागल कर गई।

तुझसे जुड़े हुए कुछ हंसी लम्हें प्यार भरे
कुछ लफ्ज़ तेरे होठों से निकले इकरार भरे
कुछ बातें जो अपनेपन का अहसास दिलाती
कुछ मुलाकातें जो तेरे दिल के पास ले जाती।

किताबों में दबे हुए कुछ सूखे हुए गुलाब
जिनमें तेरी खुशबू अभी भी महक रही है।
दराजों में पड़े हुए कुछ रेशमी रुमाल,
जिसमें तेरे स्पृश की आभा चमक रही है।

ऐसे ही साहिब,और भी बहुत से नजराने हैं,
कुछ जागती रातें और कुछ दिन के खजाने है

कसमें वादे और तेरे विश्वास की चादर
आज भी बैठा है ये दिल ओढ़ कर
एक ख्वाब अधूरा सा हो तुम जैसे कोई
चाह कर भी न भूलाना चाहे जिसको
इन्हें देखकर मैं तेरे होने का अहसास कर लेती हूं।
और पलकें नम करके दिल को हल्का कर लेती हूं।
थोड़ा सा जी लेती हूं और थोड़ा सा मर लेती हूं।

सुशी सक्सेना


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