आस टूट गई और दिल बिखर गया

आस टूट गई और दिल बिखर गया


आस टूट गयी और दिल बिखर गया।
शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया।

उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा,
दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया।

आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा,
वो इतना कांपा फिर दिल डर गया।

वहां पहले से इत्र बू की भरमार थी,
गजरा लेकर जब उसके मैं घर गया।

दिल- ए- जज़्बात मेरे सारे ठर गये,
जब मौसम भी फेरबदल कर गया।

एक मंज़र देखा ऐसा कि परिंदें रो पड़े,
जहां एक शजर कट कर मर गया।

*सुधीर कुमार*

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

This Post Has 2 Comments

  1. Sandhya Nagar

    शखयर की ग़ज़ल दिल को छू गई।

  2. sandhyanagar

    बहुत सुन्दर रचना है।

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