नव सुर-दात्री,नव लय-दात्री
नव – गान मयी,नव तान – मयी।
देवी मैं हूँ अति अज्ञानी
नहीं है जग में तुमसा दानी
माँ! दान दो नव अक्षरो का
माँ दान दो नवलय स्वरो का
जग- सृष्टा की मानस – कन्या
बुद्धि दाता न तुझसी अन्या।।
शारदे! वागेश- वीणा – धारणी
भारती! भारत- सुतों की तारणी
नव स्वर जगत में भर दे आज तू
हम सभी को धन्य कर दे आज तू ।।
✍-कालिका प्रसाद सेमवाल