वृन्दा पंचभाई की हाइकु

वृन्दा पंचभाई की हाइकु

छलक आते
गम और खुशी में
मोती से आँसू।

लाख छिपाए
कह देते है आँसू
मन की बात।

बहते आँसू
धो ही देते मन के
गिले शिकवे।

जीवन भर
साथ रहे चले
मिल न पाए।

नदी के तट
संग संग चलते
कभी न मिले।

जीवन धुन
लगे बड़ी निराली
तुम लो सुन।

जीवन गीत
अपनी धुन में है
मानव गाता।

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सुख दुःख के
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संग चलते।

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एक तुम सुनाना
खुद को भूलूँ।

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शीतल भोर।2

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रंग-बिरंगे।3

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मन लुभाती। 4

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खिले चमन जब
बसन्त आता।5

वृन्दा पंचभाई

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