मुलाकात पर कविता

मुलाकात पर कविता

मैं जब भी
फरोलता हूँ
अलमारी में रखे
अपने जरूरी कागजात
तो सामने आ ही जाती है
एक चिट्ठी
जो भेजी थी
वर्षों पहले
मेरे दिल के
महरम ने
भले ही उससे
मुलाकात हुए
हो गए वर्षों
पर चिट्ठी
करा देती है अहसास
एक नई मुलाकात का

-विनोद सिल्ला©

Comments

  1. Meena Rani

    बहुत सुन्दर रचना

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