CLICK & SUPPORT

गौरैया पर कविता

गौरैया पर कविता

तू आई मेरे आँगन में
अपने नन्हें बच्चे को लेकर
फूदक फूदक खिला रही थी
अपना चोंच, चोंच में देकर
सजग सब खतरों से
ताकती घुम घुम कर
नजाकत से चुगती दाना
आहट पा उड़ जाती फुर्र
दानों को खत्म होता देख
मिट्ठी भर अनाज बिखराई
डरकर क्यों तू चली गई
जब मैंने सहृदयता दिखलाई
प्यारी गौरैया तू सीखाती है
बच्चे को दुनिया की रीत
संभलकर जीना इस जग में
जाँच परखकर करना प्रीत.


✍ सुकमोती चौहान रुचि
  बिछिया,महासमुन्द,छ.ग

CLICK & SUPPORT

You might also like