हाकलि/मानव छंद [सम मात्रिक] विधान – इसके प्रत्येक चरण में 14 मात्रा होती हैं , तीन चौकल के बाद एक द्विकल होता है (4+4+4+2) l यदि तीन चौकल अनिवार्य न हों तो यही छंद ‘मानव’ कहलाता है l
उदाहरण –
बने ब/हुत हैं/ पूजा/लय,
अब बन/वाओ/ शौचा/लय l
घर की/ लाज ब/चाना/ है,
शौचा/लय बन/वाना है l
– ओम नीरव
विशेष : इस छंद की मापनी को भी इसप्रकार लिखा जाता है –
22 22 22 2
गागा गागा गागा गा
फैलुन फैलुन फैलुन अल
किन्तु केवल गुरु स्वरों से बनने वाली इसप्रकार की मापनी द्वारा एक से अधिक लय बन सकती है तथा इसमें स्वरक(रुक्न) 121 को 22 मानना पड़ता है जो मापनी की मूल अवधारणा के विरुद्ध है इसलिए यह मापनी मान्य नहीं है , यह मनगढ़ंत मापनी है l फलतः यह छंद मापनीमुक्त ही मानना उचित है l
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