स्वदेश पर कविता – गोपाल सिंह नेपाली

स्वदेशी का अर्थ है- ‘अपने देश का’ अथवा ‘अपने देश में निर्मित’।

tiranga

ओ स्वदेश की जवानियो, चलो उठो-उठो


इतिहास की निशानियों, चलो उठो-उठो
ओ खून की खामियो, चलो उठो-उठो
हम जन्म लें स्वतंत्र ही, स्वतंत्र ही मरें,
तुम अर्चना करो, अमोघ अर्चना करो

अधिकार लो, सदा न भीख माँगते रहो
संग्राम से जनम-जनम न भागते रहो।
छाई घटा, चली हिलोर, जागते रहो,
घर में कहीं घुसे न चोर, जागते रहो,


अपने महान देश के कुशल बचाव की
तुम योजना करो, सशस्त्र योजना करो।

तुम योजना….

गोपाल सिंह नेपाली

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