जन्म लेती है कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

जन्म लेती है कविता- 

सूरज-सा चिरती निगाहें
संवेदनाओं से भरी दूरदर्शी निगाहें
अहर्निश हर पल
घूमती रहती है चारों ओर

दृश्यमान जगत के
दृश्य-भाव अनेक
सुंदर-कुरूप,अच्छे-बुरे,
अमीरी-गरीबी, और भी रंग सारे

भावों की आत्मा
शब्दों की देह धरकर
जन्म लेती है कविता।

— नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
     9755852479
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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