ख्वाब में प्रिय
रात ख्वाब में देखा प्रिय,,
मैंने तुम्हारा साथ हो,,
झट आई बिछावन पे,,
और बोली करो प्यार की बात हो,,
है तू मेरी हर साँस में,
सबसे अलग तू खास में,,
मत देख यूँ अब आ लिपटकर,,
गुजार लूँ आज की रात हो,,
की कंपकंपाती सर्द के दिन,,
और उम्र में मैं बहुत कमसीन,,
फिर भी जी चाहता है तेरे बाहों से,,
हटाऊँ नहीं दोनों हाथ हो,,
हम जब मिलें यूँ हीं मिलें,,
हर जन्म मे मुझे तू हीं मिले,,
बस ऐसे ही इश्क में,,
होता रहे मुलाकात हो,,
इतना ही अभी ख्वाब में ,,
बस देखा था सुनो प्रिय,,
कि अचानक तेरे बाँके की,,
खुल गई आँख हो।।
✍ बाँके बिहारी बरबीगहीया