ख्वाहिश पर कविता

ख्वाहिश पर कविता

मिट्टी से बना हूं मैं , मिट्टी में मिल जाऊंगा।
जब तक हूँ अस्तित्व में ,रौशनी कर जाऊंगा।।

तम छाया है हर तरफ,सात्विकता बढ़ाऊंगा।
विवेक को जगा कर मैं,रोशनी कर जाऊंगा।।

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विनय रूपी भरूँ तेल ,धैर्य की बाती बनाऊंगा।
सतत ज्ञान बढ़ाकर मैं ,रौशनी कर जाऊंगा।।

उत्साह है मेरे अंदर, सभी में भर जाऊंगा।
ख्वाहिश बस एक मेरी, रौशनी कर जाऊंगा।।

मधुसिंघी

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