मैया की लाली है सिंगार/केवरा यदु “मीरा

“मीरा की कविता ‘मैया की लाली है सिंगार’ में माता के प्रति भक्ति और प्रेम का गहरा भाव है। इस रचना में मीरा अपनी माँ की सुन्दरता और भक्ति को बयां करती हैं, जो भावनाओं और आस्था से भरपूर है। यह कविता मातृ प्रेम और भारतीय संस्कृति की अद्भुत परंपरा को दर्शाती है।”

मैया की लाली है सिंगार/केवरा यदु “मीरा

Maa Durga photo
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मेरी  लाली लाली  मैंया की लाली  है सिंगार ।
लाली बिंदिया  लाली सिंदूर    होंठ कमल दल  लाल।।

मेरी  लाली लाली –
मेरी लाली  लाली  मैंया की–
लाल  साड़ी  लहरे माँ  के  पवन झकोरा आये।
लाली चोली चम चम चमके  लाली मोती  जड़ाये।
सिर पर  माँ  की लाल  चुनरिया  हो——
सिर पर  माँ की लाल  चुनरिया शोभा  कहि नहि जाय ।।
मेरी  लाली  लाली —
मेरी  लाली  लाली  मैं या की लाली  है सिंगार ।।



लाली  चूड़ी  लाली कंगना  लाली लाल मुंदरिया।
लाल  रतन बाजूबंद सोहे  मोतियन से करधनिया ।
कान में  बाली  लाली लाली  हो—–
कान में  बाली लाली लाली  शोभा  कहि नहि जाय।।
मोर  लाली  लाली –
मोर  लाली  लाली मैंया की  लाली है सिंगार ।।



मोतियन  लाल  लगे बिछुवा  मे पाँव  चलत झन्नाय ।
लाल  रतन के पाँव  में  पायल  छम  छम  बाजत जाय।
मोती  लाल नाक के नथनी  हो—
मोती  लाल  नाक के  नथनी  चंदा  सुरज लजाय।।
मेरी  लाली  लाली-
मेरी  लाली लाली मैंया  की   लाली है सिंगार ।।



लाल  सुपारी  लाल  नारियल  ध्वजा  लाल  लहराय।
लाल  है चंदन  लाल है रोली  लाल  गुलाल  उड़ाय ।
माँ  के भक्तन द्वारे  आके हो—
माँ  भक्तन द्वारे  आके  आके  लाल फूल  बरसाय।
मेरी  लाली लाली –
मेरी लाली लाली मैंया  की लाली है सिंगार ।।



लाल  ढोलक लाल  है मांदर  ड़फली  भी है लाल ।
सिर  पर माँ  की लाल  चुनरिया  लहर  लहर  लहराय।
लाली  लाली  माँ  को देख के हो–
लाली   लाली  माँ को देख  के  ” मीरा ” हो गई लाल ।।


लाली  बिंदिया  लाली सिंदूर होंठ  कमल दल  लाल ।
मेरी  लाली लाली –
मेरी  लाली लाली मैंया  की लाली है सिंगार ।
मेरी  लाली लाली मैंया की लाली है सिंगार ।


केवरा यदु “मीरा

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