मन का तामस पर कविता

मन का तामस पर कविता

हो तमस का घोर अंधेरा,तो तुम यूँ घबराना ना।
गर पग डगमगाए तुम्हारे,तो मिलकर साथ निभाना।
हाथ उठाकर प्रण करो तुम,मिलकर बोझ उठाना ना।
गर अंतरतम में छाए अंधेरा,विश्वास का दीप जलाना ना।
गर गली का दीप बुझा हो,अपने घर का दीप बुझाना ना।
गर चुनौती कठिन लगे तो,विपदा को पीठ दिखाना ना।
चित चंचल चितवन में तुम,आस विश्वास का दीप बुझाना ना।
घर आंगन में दीप जलाओ,ये समता का ज्ञान फैलाना ना।
गर कभी जरूरत पड़ी तुम्हारी,राष्ट्र यज्ञ में शीश चढाना ना।
घेरे मन को घोर तमस तो,मन का तमस मिटाना ना।

*सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”*
ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री
तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ. ग.)
मोब.- 8103535652
9644035652
ईमेल- sldmadhur13@gmail.com

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