नागपंचमी पर हिन्दी कविता

नागपंचमी पर हिन्दी कविता

कविता संग्रह
कविता संग्रह

गीत- उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

नाग पंचमी के अवसर पर, नागों का पूजन कर आएँ
आस्तीन में नाग छिपे जो, उनसे तो भगवान बचाएँ।

मानवता का ओढ़ लबादा, सेवा का जो ढोंग कर रहे
जिसको चाहें डस लेते वे, पीड़ित कितना कष्ट अब सहे

इच्छाधारी बने आज जो, वे तो हैं सब से टकराएँ
आस्तीन में नाग छिपे जो, उनसे तो भगवान बचाएँ।

सरकारी ठेका है जिनपर, जिसको चाहें करें पुरस्कृत
पात्र आज आँसू पीता है, उसको तो कर दिया तिरस्कृत

अब साहित्य- कला में भी तो, हाय माफिया रंग दिखाएँ
आस्तीन में नाग छिपे जो, उनसे तो भगवान बचाएँ।

लोग पिलाते दूध नाग को, और बिनौला उसमें डालें
लेकिन पीते नहीं इसे वे, ऐसी बात न मन में पालें

जहर उगलते खूब आजकल, कैसे उनको गले लगाएँ
आस्तीन में नाग छिपे जो, उनसे तो भगवान बचाएँ।

नाग देवता पूजनीय हैं, लेकिन अब कुछ बात और है
लोटें वे जिसकी छाती पर, किसने उस पर किया गौर है

तिकड़म का है दौर चल रहा, तंत्र- मंत्र को सफल बनाएँ
आस्तीन में नाग छिपे जो, उनसे तो भगवान बचाएँ।

तरह-तरह के नाग आजकल, यहाँ देखने को मिलते हैं
अपना उल्लू सीधा करके,फिर डसने को वे हिलते हैं

मन के हैं वे इतने काले, काम अनैतिक खूब कराएँ
आस्तीन में नाग छिपे जो, उनसे तो भगवान बचाएँ।

उपमेंद्र सक्सेना एड.
‘कुमुद- निवास’
बरेली (उ० प्र०)

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *