नवजीवन पर कविता

नवजीवन पर कविता

विविध रंग सज ऊषा, कर शृंगार।
करती नव जीवन का ,शुभ संचार।
उदित दिनमणि तरु ओट, बिहँसी किरन ।
झूम करती चढ विटप, साख नर्तन।

हुआ खग कलरव लगी, नीड़न भीर।
जनु बहुत दिन से मिले ,होय अधीर।
क्षुधा वश हुए व्याकुल, शिशुन निहार।
उड़ चले नील नभ में ,पंख पसार।

खिल गये उपवन सुमन,सुरभि बहार।
गूँजती  लोलुप मधुप, की गुंजार।
तरुबेल पात हिम कण , शोभा रजत।
हर्षित मन सतरंगी , तितली लखत।

मंगलाचरण घर- घर, खुलते द्वार।
देवालय शंख वाद्य,ध्वनि झंकार।
निज -निज कर्म रत हुआ , चल संसार।
प्रात हुआ नवजीवन , सृष्टि प्रसार।

पुष्पा शर्मा “कुसुम”

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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