पाना है तुमको आसमान जमीं पर- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
पाना है तुमको आसमान जमीं पर
सींचना है तुमको आदर्श जमीं पर
खिलना है तुमको फूल बन बगिया के
रहना है तुमको आदर्श बन जमीं पर
जियो संकल्प के झंडे तले ,मरो तो वतन पर
लाना है तुमको ,आसमां के तारे जमीं पर
चमकना है तुमको ,बन तारे जमीं पर
पाना है तुमको राह सत्य की
जीना है तुमको कर्म प्रधान होकर
किस्मत के धनी हो सकते हो तुम
जीवन जीने के लिए ,हो सके तो जियो यहीं पर
काफिलों को छोड़ पीछे ,सत्य पथ पर आगे बढ़ते
निर्मित करना है तुमको भी, सत्य मार्ग इसी जमीं पर
खोने की चिंता न करना, पाना है तुमको सब कुछ यहीं पर
परवाह किसको है तूफां की, जीत ले दुनिया यहीं पर
चमकेगा तू तारा ध्रुव बनकर भक्तिमार्ग का आचमन कर
विश्व मंडल में खिलेगा पुष्प गंध तू लेकर
करेगा मातृभूमि को सर्वस्व समर्पित पुण्य यादें बन जियेगा
पाना है तुमको आसमान जमीं पर
सींचना है तुमको आदर्श जमीं पर
खिलना है तुमको फूल बन बगिया के
रहना है तुमको आदर्श बन जमीं पर
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