पीर दिल की छुपाने की जरूरत क्या है – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

पीर दिल की छुपाने की जरूरत क्या है- अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

kavita

पीर दिल की छुपाने की , जरूरत क्या है

गम को फना करने के , बहाने हैं बहुत

क्यूं कर दूर जाने की , बात करते हो

करीब आने, दिल लगाने के , बहाने हैं बहुत

क्यूं कर रिश्तों में ये , कड़वाहट कैसी

रिश्तों को निभाने के , बहाने हैं बहुत

क्यूं कर ग़मों को सीने से , लगाए बैठे हैं वो

ग़मों को भुलाने, जिन्दगी को मुस्कुराने के , बहाने हैं बहुत

क्यूं कर दिल की पीर को , अपनी धरोहर कर लें

खुशियाँ जताने और मुस्कुराने के , बहाने हैं बहुत

क्यूं कर किसी की चाहत को , ठुकराए कोई

मुहब्बत जताने और निभाने के , बहाने है बहुत

क्यूं कर किसी से दूरियां , बनाते हैं लोग

किसी के करीब आने , सीने से लगाने के , बहाने हैं बहुत

क्यूं कर जिन्दगी को नासूर , बना लेते हैं लोग

पीर दिल की मिटाने और मुस्कराने के , बहाने हैं बहुत

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