हमर का के नवा साल !/ राजकुमार ‘मसखरे’

*हमर का के नवा साल !*

हमर का के नवा साल….
उही दिन-बादर,उही हाल
हमर का के नवा साल….

बैंक  म  करजा  ह  माढ़े  हे
साहूकार  दुवारी  म  ठाढ़े हे
ये रोज गारी,तगादा देवत हे
दिनों दिन हमर खस्ता हाल
हमर का के नवा साल…..!

नेता  मन  नीति  बनावत हे
आनी- बानी के बतावत  हे
सब  ल  बने  भरमा डारिन
बस  उँखरे  गलत  हे  दाल
हमर का के नवा साल…..!

बड़े आदमी अउ बड़े होते हे
छोटे ह ईमानदारी ल ढोत हे
इँखर  छल- कपट  के  मारे
आम जन के होवय  हलाल
हमर का के नवा साल…..!

किसानी हमर परिवार करथे
उपज के दाम ल येमन धरथे
ये कइसन  कुदरती नियम हे
कब टोरहु तुम अइसन जाल
हमर का के नवा साल……!

हमर लइका मन बेरोजगार हे
उँखर साहब, नेता,ठेकेदार हे
येमन कइसे पेट ले राजा होथे
ये जनता  कतेक करे  सवाल
हमर का के नवा साल…….!

पक्ष, विपक्ष  सब मौसेरे भाई
राजनीति म चाँटे ख़ूब मलाई
इँखर दुमुँहा बात सब जान ले
ये सब के कमोबेश एके चाल
हमर का के नवा साल ……!

इँखरे हवै इसकुल,अस्पताल
बड़े खदान अउ शॉपिंग मॉल
सड़क तिर जमीन सब इँखरे
कब समझहु तुम इँखर चाल
हमर का के नवा साल……!

भासन म  देवत हवँय राशन
बतावत हवें  ग़जब सुशासन
बोटर ह बोट- बोट  देखत हे
अउ येमन मचावत हे धमाल
हमर का के नवा साल……!

जंगल- झाड़ी सब कटावत हे
नदिया -नरवा सब पटावत हे
खेत ह जहर,कचरा म पटागे
बिकास बता के करत हे घाल
हमर का के नवा साल…….!

निर्भया ह ये भय ले कापत हे
चोर, गुण्डा, मवाली घापत हे
न्याय मंदिर के पट कब खुलही
पेशी के रेंगई म  उधड़गे खाल
हमर का के नवा साल……..!

इन मठाधीश के बुध म आगेव
जेन किहिस तेखरे म  झपागेव
अन्तस के आँखी ल नइ उघारे 
आँखी  मूँद के  तँय ठोंके ताल
हमर का के नवा साल ……..!


     — *राजकुमार ‘मसखरे’*