शादी पर गीत

शादी पर गीत

मैं चूल्हे की नाँब घुमाऊँ , लाइटर तुम जला दो ना।
सब्जी मैंने छौंकी हैं जी , आकर इसे चला दो ना।

प्यार करें हैं कब से दोनों , लाज रखेंगे हम इसकी।
महामिलन कर सीमा तोड़े , टिकट कटा जीवन बस की।

एतबार की मुहर लगाकर , छपवा देता हूँ पर्चा।
जब हो जाएगी तू मेरी , खुलके करना फिर खर्चा।

थक कर आया तो बोलूँगा , थोड़ी चाय पिला दो ना।
मैं चूल्हे की नाँब घुमाऊँ , लाइटर तुम जला दो ना।

बंजारों सा प्यार हमारा , झेलें लोगों का ताना।
नदी किनारे घर अपना लें , गाऐं खिड़की में गाना।

नैनों में यह ख्वाब सजा है , हम दोनों की हो डीपी ।
कभी शाम को चाय बनाऊँ , लेना तू उसको भी पी।

तनख्वाह सारी देके बोलूँ , मुझको पेंट सिला दो ना।
मैं चूल्हे की नाँब घुमाओ , लाइटर तुम जला दो ना।

दोनों मिलकर दान करेंगे , साथ करेंगे हम पूजा।
मैं कितना भोला भंडारी , तू भी बन मेरी गिरजा।

सच कहता हूँ जाना तुझसे , दूर नहीं मैं भागूँगा।
मेरे घर तुझको रख के भी , नहीं किराया माँगूँगा।

हे प्रभु केवल मेरी है वो , भरोसा यह दिला दो ना।

मैं चूल्हे की नाँब घुमाऊँ , लाइटर तुम जला दो ना।

राम शर्मा’कापरेन’

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