सवेरा पर कविता
हुआ सवेरा जानकर , गुंजन करे विहंग।
चले नहाने सर्वजन,कलकल करती गंग।।
नित्य सवेरे जो उठे , होता वह नीरोग।
सुख से वह रहता सदा,करता है सुखभोग।।
नित्य सवेरे जो जपे, मन से प्रभु का नाम।
मिट जाते है कष्ट सब ,पाता वह आराम।।
त्याग करें आलस्य का , जगें सवेरे नित्य।
शुचि हो प्रभु का नाम ले,करें सभी फिर कृत्य।।
धन दौलत सुख चाहिए , उठे सवेरे रोज।
तनमन दोनों स्वस्थ हो,यह ऋषियों की खोज।।
© डॉ एन के सेठी
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