ताटंक छंद
—— 1——
दिलों से नफ़रत को मिटाकर,
सबको गले लगाना है |
हमें देश की खातिर अपने,
जीना है मर जाना है |
आपस में हो भाईचारा,
प्रेम भाव उपजाना है |
हरे भरे अपने गुलशन को,
खुशबू से मँहकाना है |
——–2——–
दीन दुखी की सेवा कर के,
खुद को धन्य बनाना है |
अपने सदकर्मो से हमको,
आगे पुण्य कँमाना है |
भूखे को रोटी खिलवाकर,
अपना धरम निभाना है |
आपस में मिलजुलकर हमको,
गीत खुशी के गाना है |
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द्वारिका पाराशर
20/02/2019
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद
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