ताटंक छंद

ताटंक छंद

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दिलों से नफ़रत को मिटाकर,
               सबको गले लगाना है |
हमें देश की खातिर अपने,
               जीना है मर जाना है |
आपस में हो भाईचारा,
               प्रेम भाव उपजाना है |
हरे भरे अपने गुलशन को,
               खुशबू से मँहकाना है |
                ——–2——–
दीन दुखी की सेवा कर के,
             खुद को धन्य बनाना है |
अपने सदकर्मो से हमको,
              आगे पुण्य कँमाना है |
भूखे को रोटी खिलवाकर,
            अपना धरम निभाना है |
आपस में मिलजुलकर हमको,
               गीत खुशी के गाना है |
———-✍
                द्वारिका पाराशर
                   20/02/2019
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कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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