वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया पर कविता
जय किसान,जय जाट जमींदार,
है आज आखातीज का त्यौहार।
खेती-बड़ी सदैव फल्ले फुले
अन्न-धन्न का भण्डार भरे,
राष्ट्र रीढ़ की हड्डी किसान
परमात्मा इसके दुःख हरे।
ये धरती किसान की माँ है
और बादल किसान का बाप,
इंद्र देव वर्षा करो,वर्षा करो
करता किसान नीत यही जा।
बारहमास रहे हरे खलियान
खुश रहे हमारा ये किसान,
जय जवान खेत के प्रधान
जय किसान जय किसान।
-विकाश बैनीवाल