मेरी प्यारी हिन्दी / प्रभात सनातनी “राज’

हिन्दी भारत की राजभाषा और विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है। यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और संस्कृत, फारसी, अरबी, तुर्की और अंग्रेज़ी जैसी भाषाओं से प्रभावित है। हिन्दी का साहित्यिक और व्यावहारिक रूप व्यापक है, जिसमें कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास, नाटक और तकनीकी लेखन शामिल हैं। यह भाषा भारतीय संस्कृति, परंपराओं और आध्यात्मिकता को अभिव्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

मेरी प्यारी हिन्दी / प्रभात सनातनी “राज’


   
हिंदी भाषा का गुणगान कैसे करूं,
हिंदी भाषा का बखान कैसे करूं।
अपरिभाषित है मेरी हिंदी भाषा,
परिभाषा ही नहीं परिभाषित कैसे करूं।।

सबको मान व सम्मान हिंदी देती है,
अपना नया रूप एक छोटी सी बिंदी देती है।
हलन्त, पदेन, रेफ का महत्व होता है,
गद्य पद्य के रूप नए-नए शब्द गढ़ देती है।।

हिंदी अपनी सीमा में रहने वाली भाषा है,
एकता का पाठ पढ़ने वाली हिंदी भाषा है।
झुकना सीखा और सिखाती है सारे जहां को,
मर्यादा में रहने वाली ही हमारी भाषा है।।

मर्यादा में रहने वाली,  मेरा गौरव गान है,
संपूर्ण विश्व को है ये पिरोती हिंदी महान है।
घर-घर की दुलारी, जाती है यह पिचकारी,
जन-जन के हृदय में बसती,हिंदी मेरी महान है।।

स्वरचित कविता
प्रभात सनातनी “राज” गोंडवी
गोंडा-उत्तर प्रदेश