प्रेरक कविता/ डॉ0 रामबली मिश्र

“बिना संघर्ष कुछ नहीं मिलता” हमें बताती है कि हमें अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रयास करना और संघर्ष करना होता है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए हमें समस्याओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें पार करने के लिए हमें मेहनत, संघर्ष, और साहस की आवश्यकता होती है। बिना किसी प्रकार के संघर्ष और परिश्रम के, हम अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में समर्थ नहीं हो सकते।

“डॉ. रामबली मिश्र” वाराणसी के एक प्रमुख कवि हैं, जिन्होंने अपने जीवन के दौरान साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी रचनाएँ और लेखन साहित्य के अनेक पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं और लोगों को जागरूक करते हैं।

बिन संघर्ष नहीं कुछ मिलता /डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी

बिन संघर्ष नहीं कुछ मिलता।
यह जीवन भी कभी न खिलता।
संघर्षों की अमिट कहानी।
बिन संघर्ष भानु नहिं उगता।

बिन संघर्ष नहीं शिक्षा है।
बिन संघर्ष नहीं रक्षा है।
श्रम में ही संघर्ष छिपा है।
श्रम अनुपम नैतिक दीक्षा है।

सकल लोक संघर्ष कर रहा।
मनुज बिना संघर्ष मर रहा।
जो संघर्षशील नित कर्मठ।
बिना हिचक वह स्वयं चर रहा।

बिन संघर्ष न अर्थ मिलेगा।
सारा जीवन व्यर्थ लगेगा।।
है संघर्ष मधुर फल कुंजी।
मन वांछित हर काम बनेगा।।

डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी

सुशी सक्सेना

यह काव्य संकलन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अवतरित लेखिका सुशी सक्सेना के सहयोग से हो पाई है । अभी आप इंदौर मध्यप्रदेश में हैं । अभी आप अवैतनिक संपादक और कवयित्री के रूप में kavitabahar.com में अपना सेवा दे रही है। आपकी लिखी शायरियां और कविताएं बहुत सी मैगजीन और न्यूज पेपर में प्रकाशित होती रहती हैं। मेरे सनम, जिंदगी की परिभाषा, नशा कलम का, मेरे साहिब, चाहतों की हवा आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।