विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र

विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र

प्रति पल कविता दिवस मनाता।
हिन्दी में लिखना सिखलाता।।
मन मन्दिर में ध्यान लगाता।
सबको उत्तम राह दिखाता।।

अंतर्मन के भाव गमकते।
शब्दों के आह्लाद चहकते।।
अर्थ बताते सत्य पंथ गह।
स्नेह परस्पर का मतलब कह।।

कविता लिख कर मन बहलाता।
जीवन को खुशहाल बनाता।।
लेखन ही सत्कर्म धर्म है।
जीवन का य़ह शिष्ट मर्म है।।

हिन्दी में जो कविता लिखता।
अमर बना वह जग में रहता।।
घर बैठे ही नाम कमाता।।
अपने पर वह शोध कराता।।

प्यारे!कविता दिवस मनाओ।
सोते जग को नित्य जगाओ।।
कविता लिखकर गाते रहना।
जीवन पर्व मनाते चलना।।

डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी उत्तर प्रदेश

सुशी सक्सेना

यह काव्य संकलन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अवतरित लेखिका सुशी सक्सेना के सहयोग से हो पाई है । अभी आप इंदौर मध्यप्रदेश में हैं । अभी आप अवैतनिक संपादक और कवयित्री के रूप में kavitabahar.com में अपना सेवा दे रही है। आपकी लिखी शायरियां और कविताएं बहुत सी मैगजीन और न्यूज पेपर में प्रकाशित होती रहती हैं। मेरे सनम, जिंदगी की परिभाषा, नशा कलम का, मेरे साहिब, चाहतों की हवा आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।