शिवरात्रि पर कविता /डॉ0 रामबली मिश्र

शिवरात्रि पर कविता /डॉ0 रामबली मिश्र

shiv God
Shiv God

अद्वितीय शिव भोले काशी।
अदा निराली प्रिय अविनाशी।।
रहते सबके अंतर्मन में।
बैठे खुश हो नित सज्जन में।।

जगह जगह वे घूमा करते।
तीन लोक को चूमा करते।।
भस्म लगाये वे चलते हैं।
शुभ वाचन करते बढ़ते हैं।।

परम दिव्य तत्व रघुवर सा।
कोई नहीं जगत में ऐसा।।
रामेश्वर शंकर का धामा।
विश्व प्रसिद्ध स्वयं निज नामा।।

बहुत जल्द वे खुश होते हैं।
सारे पापों को धोते हैं।।
सहज सफाई करते चलते।
आशीर्वाद देत वे बढ़ते।।

डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

सुशी सक्सेना

यह काव्य संकलन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अवतरित लेखिका सुशी सक्सेना के सहयोग से हो पाई है । अभी आप इंदौर मध्यप्रदेश में हैं । अभी आप अवैतनिक संपादक और कवयित्री के रूप में kavitabahar.com में अपना सेवा दे रही है। आपकी लिखी शायरियां और कविताएं बहुत सी मैगजीन और न्यूज पेपर में प्रकाशित होती रहती हैं। मेरे सनम, जिंदगी की परिभाषा, नशा कलम का, मेरे साहिब, चाहतों की हवा आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।