प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
हाइकु पंच
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[01]
आहत मन
नोंचे यहाँ बागबाँ
सुमन तन ।
[02]
चली कुल्हाड़ी
रोते देख पेड़ों को
रुठे हैं मेघ ।
[03]
बोला न दीप
परिचय उसका
प्रकाश गीत ।
[04]
बुलाते पेड़
सूख गई पत्तियाँ
बरसो मेघ ।
[05]
आहत मन
काटे लकड़हारा
पेड़ का तन ।
□ प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
मो. 7828104111