शिवकुमार श्रीवास “लहरी” द्वारा रचित यह रोला छंद की कविता, छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय नृत्य सुवा को बड़े ही मार्मिक ढंग से चित्रित करती है। कवि ने अपने शब्दों से सुवा नृत्य की जीवंतता, महिलाओं की भावनाओं और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर दिया है।
रोला छंद- सुवा नृत्य
भिन्न-भिन्न परिधान, पहन कर महिला नाचे ।
भाव भंगिमा साज, प्रेम सबको है बाचे।।
सुवा नृत्य है खास, नारियाँ दल में आतीं ।
ताली के दे थाप, गोल आकार बनातीं ।।
धरे टोकरी शीश, रखे मिट्टी का तोता।
चाँवल अरु भगवान, साज के देते न्योता ।।
कार्तिक का यह मास, मानते खास सभी हैं।
है दीवाली पास, झूमते साथ तभी हैं ।।
बोल तरी हरि गान, सभी मिलकर दुहराते ।
प्रेम विरह के गीत, कहे जीवन सहलाते ।
गौरा गौरी व्याह, साथ रचते सब जन हैं।
सुवा नृत्य भी साथ, झूमते ये तन मन हैं ।।
कहे वीर रस पूर, गीत में नाचे गाये।
माँदल ढोलक थाप, तान है सबको भाये ।।
साड़ी के परिधान, पहन के कटि मटकाये ।
देते शुभ आशीष, गीत के अंतिम साये ।।
सुवा नृत्य, छत्तीसगढ़ की महिलाओं का एक समूह नृत्य है जो मुख्यतः दीपावली के आसपास मनाया जाता है। यह नृत्य न केवल मनोरंजन का माध्यम है बल्कि महिलाओं के जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनकी भावनाओं और सामाजिक रिश्तों को भी दर्शाता है।
कविता की व्याख्या
कवि ने इस कविता में सुवा नृत्य के विभिन्न पहलुओं को बड़े ही सुंदर ढंग से चित्रित किया है:
- वस्त्र और आभूषण: कवि ने महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले विभिन्न प्रकार के परिधानों और आभूषणों का वर्णन किया है। यह दर्शाता है कि सुवा नृत्य में वस्त्रों का भी एक महत्वपूर्ण स्थान होता है।
- भाव और भंगिमा: कवि ने नर्तकियों की भावभंगिमाओं और प्रेम को शब्दों में पिरोया है। सुवा नृत्य में नर्तकियां अपने हाथों और पैरों की मुद्राओं के माध्यम से विभिन्न भावों को व्यक्त करती हैं।
- सामूहिकता: कवि ने सुवा नृत्य को एक सामूहिक गतिविधि के रूप में चित्रित किया है जिसमें महिलाएं एक साथ मिलकर नृत्य करती हैं।
- धार्मिक महत्व: कवि ने सुवा नृत्य के धार्मिक महत्व को भी उजागर किया है। नर्तकियां अपने हाथों में टोकरी और मिट्टी के तोते लेकर भगवान को न्योता देती हैं।
- ऋतु और उत्सव: कवि ने सुवा नृत्य को कार्तिक मास और दीपावली के त्योहार से जोड़ा है। यह दर्शाता है कि सुवा नृत्य छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपराओं का एक अभिन्न अंग है।
- गीत और संगीत: कवि ने सुवा नृत्य में गाए जाने वाले गीतों और बजाए जाने वाले वाद्ययंत्रों का भी वर्णन किया है। सुवा नृत्य में प्रेम, विरह, और वीर रस के गीत गाए जाते हैं।
निष्कर्ष
यह कविता सुवा नृत्य की सुंदरता और महत्व को उजागर करती है। कवि ने अपने शब्दों के माध्यम से न केवल नृत्य का वर्णन किया है बल्कि छत्तीसगढ़ की महिलाओं के जीवन और संस्कृति को भी जीवंत कर दिया है। यह कविता हमें छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ती है।
अतिरिक्त जानकारी:
- रोला छंद: यह एक लोकप्रिय हिंदी छंद है जिसका प्रयोग प्रायः लोकगीतों में किया जाता है।
- सुवा नृत्य: यह छत्तीसगढ़ का एक लोकप्रिय नृत्य है जो मुख्यतः महिलाओं द्वारा किया जाता है। यह नृत्य अपनी लयबद्धता और भावपूर्णता के लिए जाना जाता है।
यह जानकारी आपको सुवा नृत्य और इस कविता के बारे में बेहतर समझने में मदद करेगी।