प्रत्येक वर्ष 1 नवंबर को विश्व स्तर पर वर्ल्ड वैगन डे यानि विश्व शाकाहारी दिवस मनाया जाता है। यह दिन मनुष्यों, जानवरों और प्राकृतिक पर्यावरण के लिए शाकाहारी होने के लाभ के बारे में प्रचार-प्रसार करने लिए मनाया जाता है। विश्व शाकाहारी दिवस आम तौर पर शाकाहारी भोजन और शाकाहारी होने के लाभों को बढ़ावा देने का एक अवसर है। शाकाहारी दिवस पर कविता पर आधारति है ये कविताएँ
शाकाहारी दिवस पर कविता
कंद-मूल खाने वालों से
मांसाहारी डरते थे।।
पोरस जैसे शूर-वीर को
नमन ‘सिकंदर’ करते थे॥
चौदह वर्षों तक खूंखारी
वन में जिसका धाम था।।
मन-मन्दिर में बसने वाला
शाकाहारी *राम* था।।
चाहते तो खा सकते थे वो
मांस पशु के ढेरो में।।
लेकिन उनको प्यार मिला
‘शबरी’ के जूठे बेरो में॥
चक्र सुदर्शन धारी थे
गोवर्धन पर भारी थे॥
मुरली से वश करने वाले
गिरधर’ शाकाहारी थे॥
पर-सेवा, पर-प्रेम का परचम
चोटी पर फहराया था।।
निर्धन की कुटिया में जाकर
जिसने मान बढाया था॥
सपने जिसने देखे थे
मानवता के विस्तार के।।
नानक जैसे महा-संत थे
वाचक शाकाहार के॥
उठो जरा तुम पढ़ कर देखो
गौरवमय इतिहास को।।
आदम से आदी तक फैले
इस नीले आकाश को॥
दया की आँखे खोल देख लो
पशु के करुण क्रंदन को।।
इंसानों का जिस्म बना है
शाकाहारी भोजन को॥
अंग लाश के खा जाए
क्या फ़िर भी वो इंसान है?
पेट तुम्हारा मुर्दाघर है
या कोई कब्रिस्तान है?
आँखे कितना रोती हैं जब
उंगली अपनी जलती है
सोचो उस तड़पन की हद
जब जिस्म पे आरी चलती है॥
बेबसता तुम पशु की देखो
बचने के आसार नही।।
जीते जी तन काटा जाए,
उस पीडा का पार नही॥
खाने से पहले बिरयानी,
चीख जीव की सुन लेते।।
करुणा के वश होकर तुम भी
गिरी गिरनार को चुन लेते॥
-अज्ञात