आया रे आया बसंत आया

आया रे आया बसंत आया

आया रे आया बसंत आया
आया रे आया बसंत आया।
पेड़-पौधों के लिये खुशहाली लेकर आया।।
आया रे आया बसंत आया।

चारों तरफ छायी है खुशियाली।
पेडो़ पर आयी है नयी हरियाली।।
आया रे आया बसंत आया।

आने वाली है रंगो की होली।
बसंत की खुशी में पशु-पक्षी डोल रहे हैं डाली-डाली।।
आया रे आया बसंत आया।

बसंत की खुशी में पौधों पर नये फूल आ रहे बारी-बारी।
इन नये फूल, पत्तों को देखकर झूम रही दुनिया सारी।।
आया रे आया बसंत आया।

किसानों के लिये खुशियाँ लाया।
घर घर में है हरे रंग का उजाला छाया।।
आया रे आया बसंत आया।

पेड़ों के लिये है बसंत नया जीवन लाया।
पेड़ों पर नये फूल और पत्ती लाया।।
आया रे आया बसंत आया।

बंसत को देखकर मुस्कराई जवानी।
जिस तरफ देखो बसंत के रंगों की ही कहानी।।
आया रे आया बसंत आया।

नये नये फूलों ने अपनी सुगन्ध से बगियाँ को चहकाया।
उसकी सुगन्ध से सारी दुनिया समझ गयी कि बसंत आया।।
आया रे आया बसंत आया।

बसंत लाया मस्ताना मौसम और हवा मस्तानी।
बसंत की हरियाली को देखकर दुनिया हो गयी दीवानी।।
आया रे आया बसंत आया।

चारों तरह हो रहा जंगल में बसंत का शोर।
नाच रहे शेर, वाघ, कोयल और मोर।।
आया रे आया बसंत आया।।

किसानों के लिये सुनहरा मौसम आया।
चारों तरफ हरियाली ही हरियाली लाया।।
आया रे आया बसंत आया।


धमेन्द्र वर्मा (लेखक एवं कवि)
जिला-आगरा, राज्य-उत्तर प्रदेश
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