लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में खुदा की इबादत की गयी है |
लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा – वंदना – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

kavita

लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा
सुबह हो या शाम ओ मेरे खुदा
तेरे दीदार की हसरत हो मुझे
तेरी कायनात से मुहब्बत हो मुझे
हर इक शै से रूबरू करना मुझे
अपने हर इक इल्म से नवाजो मुझको
अपने दर का नूर बना लो मुझको


मैं चाहता हूँ तेरा करम हो मुझ पर
तेरा एहसास आसपास मेरे हो अक्सर
गरीबों का सहारा बनूँ ओ मेरे खुदा
लोगों की आँखों का तारा बनूँ ओ मेरे खुदा
मुझे भी आसमां का इक तारा कर दो
खिलूँ मैं चाँद की मानिंद कुछ ऐसा कर दो
ए खुदाया तेरी रहमत तेरा करम हो मुझ पर
तेरे साए में गुजारूं ये जिन्दगी ओ खुदा


तू आसपास ही रहना मेरा रक्षक बनकर
तेरे क़दमों पे बिछा दूं ये जिन्दगी मौला
मैं तुझे चाहूँ तुझे अपनी जिन्दगी से परे
कि मैं वार दूं खुद को तुझ पर ए खुदा
कुछ ऐसा करना मैं रहूँ तेरे करम के काबिल
तुझे हर वक़्त दिल के करीब पाऊँ ए मेरे खुदा
लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा
सुबह हो या शाम ओ मेरे खुदा

You might also like