सावन में भक्ति

सावन की रिमझिम फुहार के बीच संख व डमरू की आवाज मन की जड़ता को हिला देती है। एक नवीन प्रेरणा
अन्तर्मन को ऊर्जान्वित करने लगती है।
प्रकृति प्रेम सबसे बड़ी ईश्वर सेवा है।

प्रस्तुत कविता सावन में भक्ति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

सावन में भक्ति

सावन सुहाना आया,
हरीतिमा जग छाया,
भोले की कृपा है पायी,
जयति शिव बोल।

झूम रही डाली डाली,
मस्त होके मतवाली,
सूरज भी काफी खुश,
नेत्र अपना खोल।

तन तन घंटा बोले,
मन शिव नाम डोले,
बेल पत्र चढ़ाकर,
त्रिदेव जय बोल।

पहला सोमवार है,
रिमझिम फुहार है,
दान दया कर कुछ,
कर भक्ति अनमोल।

मुख पर बहार है,
नागों का गले हार है,
जग को जगा रहे हैं,
डमरू और ढोल।

सावन की बेला आयी,
हरि प्रीत मन छायी,
सुहानी घड़ी में सब,
भक्ति का रस घोल।

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
अशोक शर्मा, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *