महदीप जंघेल की कविता

महदीप जंघेल की कविता

बाल कविता
बाल कविता

बचपन जीने दो

भविष्य की अंधी दौड़ में,
खो रहा है प्यारा बचपन।
टेंशन इतनी छोटी- सी उम्र में,
औसत उम्र हो गया है पचपन।

गर्भ से निकला नहीं कि,
जिम्मेदारी के बोझ तले दब जाते,
आपको ये बनना है,वो बनना है,
परिवार के लोग बताते।

तीन साल के उम्र में ही,
बस्ता का बोझ उठाते है।
कंपीटिशन ऐसा है कि ,
रोज कोचिंग करने जाते है।

सारा दिन प्रतिदिन अध्यापन का,
कितना मानसिक बोझ उठाएंगे।
प्रतियोगिता के अंधी दौड़ में,
अपना प्यारा बचपन कब बिताएंगे?

हँसी खुशी से भरा प्यारा सा,
बचपन का अमृत उसे पीने दो।
मानसिक दबाव कम होगा उनका,
हँस खेलकर भी जीने दो।

रचनाकार-महदीप जँघेल
ग्राम-खमतराई
खैरागढ़

mahdeep janghel
mahdeep janghel

जय हो मोर छत्तीसगढ़ महतारी

जय हो जय हो ,महामाई
मोर छत्तीसगढ़ दाई।
माथ नवांवव ,पांव पखारौं ,
तैं हमर महतारी।
जय हो जय हो महामाई…

तोर भुइँया ले मइया,
अन्न उपजत हे।
तोर अन्नपानी ले हमर,
जिनगी चलत हे।
हाथ जोर के ,पइंया लांगव
अशीष देदे दाई।।
जय हो, जय हो महामाई….

मैनपाट हवय तोर,
मउर मुकुट हे,
इंद्रावती तोर ,
चरण धोवत हे।
हाथ जोर के विनती करन,
शरण आवन दाई।।
जय हो, जय हो महामाई…

महानदी के इंहा ,
धार बोहत हे।
जम्मो छत्तीसगढ़िया मन,
तोला सुमरत हे।
किरपा करइया ,दुःख हरइया,
होगे जीवन सुखदाई ।।

जय हो ,जय हो महामाई,
मोर छत्तीसगढ़ दाई।।

नारियों का सम्मान-महदीप जंघेल

जहाँ होता है बेटियों का सम्मान,
उस देश का बढ़ जाता है मान।।

अब दीवारों से बंधी ,नही रही बेटियाँ,
बड़े -बड़े सपने गढ़ रही बेटियाँ।।

जब तेज प्रचंड ,ज्वाला रूप धरती है!
तब धरती आकाश ,पाताल डोलती है।

नारी है देश समाज का मान,
दुर्गा ,काली, लक्ष्मी,इनके है नाम।।

जीवन रूपी नैया की,
पतवार बन जाती है,
वक्त पड़े जब,तलवार बन जाती है।

करो न कभी ,नारियों का अपमान,
क्षमा नही करेंगें, तुम्हे भगवान।।

नारियाँ होती है ,माँ के समान
बहु,बहन,बेटियाँ, इनके नाम।।

जो करे नारियों का मान सम्मान,
कहलाते है वही ,सच्चा इंसान।।

महदीप जंघेल
ग्राम-खमतराई

हमर सुघ्घर छत्तीसगढ़

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एक ठन राज हवे सुघ्घर ,
नाम हे जेकर छत्तीसगढ़।।
राजधानी हवे सुघ्घर रायपुर,
हाईकोर्ट जिहां हे बिलासपुर।
दंतेवाड़ा में लोहा खदान!
ऊर्जा नगरी कोरबा महान।।
धमतरी में हवे बड़े गंगरेल बांध,
जम्मो झन के बचावय परान।।
जिहां चित्रकोट अउ हवे तीरथगढ़,
नाम हे जेकर छत्तीसगढ़ ।।

डोंगरगढ़ म मइया बम्लेश्वरी,
दंतेवाड़ा म मइया दंतेश्वरी।।
रतनपुर म मइया महामाया ,
जेकर कोरा हे हमर छतरछाया।
गरियाबंद के हवे बड़े राजिम मेला,
पैरी ,सोंढुर,महानदी के बोहवय रेला।
बड़े- बड़े पहाड़ के गढ़ ,हवे रामगढ़,
नाम हे जेकर छत्तीसगढ़।।

भिलाई इस्पात कारखाना के,
हवे काम महान,
जेन हवे दुरुग भिलाई के शान।।
कोरिया म हवे बड़े-बड़े कोयला खदान,
टिन म सुकमा के अव्वल स्थान।।
नारायणपुर के अबुझमाड़ ,
जेन छत्तीसगढ़ के पहिचान हे।
संगीत नगरी कहाये ,खैरागढ़।
वोकर पूरा एशिया में अब्बड़ नाम हे ।
जेकर बोली भाखा हवे मीठ अब्बड़,
नाम हे जेकर छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के खजुराहो ,
भोरमदेव ल कहिथे।।
अरपा ,पैरी, महानदी के,
कलकल धार बहिथे।।
अइसन सुघ्घर राज म रहिके ,
अपन जिनगी ल गढ़।।

एक ठन राज हवे सुघ्घर,
नाम हे जेकर छतीसगढ़।।

रचनाकार
महदीप जंघेल ,

माता के महिमा

जय ,जय हो मइया दुर्गा,
तोरेच गुण ल सब गावै।
जय ,जय हो मइया अम्बे,
सब तोरेच महिमा बखावै।।
तोर शरण म आए बर मइया,
जन-जन ह सोहिरावै।।
जय,जय हो मइया दुर्गा……..

पापी मन के नाश करे बर,
दुनिया में तैं अवतारे।
दानव मन ल मार के दाई,
ये जग ल तैं ह उबारे।।
पापी ,अतियाचारी असुरा मन ,
सब देख तोला डर्राये।।
जय-जय हो मइया दुर्गा………

शक्ति रूप धरे तै जग में,
दुर्गा काली कहाए।
महिषासुर जइसे दानव ले,
ये धरती ल तैं ह बचाए।।
आदि शक्ति तैं माता भवानी,
सब तोरेच लइका कहाए।।
जय,जय हो मइया दुर्गा……  

अन्नदाता किसान

हमर किसान भाई, हमर किसान ,
काम करे जियत भर ले ,जाड़ा चाहे घाम।।
हमर किसान भाई……….

सुत उठ के बड़े बिहनियां!
नांगर धरके जाय,
मंझनी मंझना घाम पियास मा!
खेत ल कमाय।
हमू करब काम संगी ,हमर किसान ,
काम करे जियत भर ले ,जाड़ा चाहे घाम ।।
हमर किसान भाई ….

धान ,गेंहू ,चना, राहेर,
खेत म वोहा बोवत हे।
रखवारी करे बर ,
मेड़ में घलो सोवत हे।।
माटी के बेटा हरे,हमर किसान ,
काम करे जियत भर ले,जाड़ा चाहे घाम ।।
हमर किसान भाई……

हरियर- हरियर खेत ल देख,
मन ओकर हरियाय।
कोठी भर-भर अन्न ल देख,
ओकर अंतस गदगदाय।।
रात- दिन मेहनत करथे ,लेवत राम नाम ,
काम करे जियत भर ले ,जाड़ा चाहे घाम..
हमर किसान भाई………

भूखे लांघन खेत में काम ,
सरग ,भुइँया ल बनाय।
संसार के जम्मो भूख मिटाके,
खुद चटनी बासी ल खाय।।
हमर किसान हरे,हमर भगवान,
रात दिन काम करे,देवे अन्न के दान।।
हमर किसान भाई………

  महदीप जंघेल
                             

गांधी जी को प्रणाम

वर्ष 1600 में ईस्ट इन्डिया कम्पनी
जब भारत आया।
साथ अपने, विदेशी ताकत भी लाया।।

फूट डालो शासन करो नीति अपनाया।
राजा महाराजाओं को,आपस में खूब लड़ाया।।
धन दौलत माल खजाना,भारत का।
लूट -लूटकर अपने वतन भिजवाया।।

गरीबी,भुखमरी,और बेरोजगारी देश में बढ़ता गया।
गरीब मजदूर मरता गया।।
दिनो-दिनअंग्रेजो का ,अत्याचार बढ़ता गया।
हिंसाऔर शोषण रूपी तपन चढ़ता गया।।

तब 2 अक्टूबर सन 1869 पोरबंदर में,
आई एक आंधी।
जन्म लिया एक महापुरुष ने,
नाम था मोहनदास गांधी।।

अंग्रेजो के घर से ही ,कानून पढ़कर आया।
अहिंसा ,और सत्यता की, धर्मनीति अपनाया।।
देशभक्ति की ज्योति ,सबके मन में जलाया।।
अंग्रेजो से लोहा लेकर, देश से उन्हें भगाया।।

स्वच्छता का संदेश दिया ,
बहन बेटियों का किया सम्मान।।
युगपुरुष कहलाये वो,जिनको मिला महात्मा नाम।।
ऐसे राष्ट्रपिता श्री महात्मा गांधी जी को
मेरा शत शत प्रणाम।
मेरा शत शत प्रणाम।

महदीप जंघेल
ग्राम-खमतराई
विकासखण्ड-खैरागढ़
जिला-राजनांदगांव

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