सार छंद [सम मात्रिक]

सार छंद [सम मात्रिक] विधान – 28 मात्रा, 16,12 पर यति, अंत में वाचिक भार 22 गागा l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l

hindi sahityik class || हिंदी साहित्यिक कक्षा
hindi sahityik class || हिंदी साहित्यिक कक्षा

उदाहरण :
कितना सुन्दर कितना भोला, था वह बचपन न्यारा,
पल में हँसना पल में रोना, लगता कितना प्यारा।
अब जाने क्या हुआ हँसी के, भीतर रो लेते हैं,
रोते-रोते भीतर-भीतर, बाहर हँस देते हैं।

– ओम नीरव

विशेष : इस छंद की मापनी को इसप्रकार लिखा जाता है –
22 22 22 22, 22 22 22
गागा गागा गागा गागा, गागा गागा गागा
फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन, फैलुन फैलुन फैलुन
किन्तु केवल गुरु स्वरों से बनने वाली इसप्रकार की मापनी द्वारा एक से अधिक लय बन सकती है तथा इसमें स्वरक(रुक्न) 121 को 22 मानना पड़ता है जो मापनी की मूल अवधारणा के विरुद्ध है l इसलिए यह मापनी मान्य नहीं है , यह मनगढ़ंत मापनी है l फलतः यह छंद मापनीमुक्त ही मानना उचित है l

Leave a Comment