स्कूल पर कविता

विषय – स्कूल पर कविता

स्कूल का दहलीज पुकारता है

students going to school with thier classmates
विद्यार्थी स्कूल

बीत गए गर्मी की छुट्टी,अब तो तुम आजाओ,
क्या-क्या किए हैं,इस छुट्टी में हमे भी बताओ।
श्याम-पट्ट,स्कूल की वो घंटी तुम्हें निहारता है,
प्यारे बच्चों तुम्हें,स्कूल का दहलीज पुकारता है।

गर्मी-छुट्टी में घुम लिए हैं,बच्चे अपने ननिहाल,
गांव-शहर में सैर करके,देखें हैं सुखे,नदी-ताल।
अब तो वापस आओ,कर्मभूमि तुम्हें दुलारता है,
प्यारे बच्चों तुम्हें,स्कूल का दहलीज पुकारता है।

कठिन-अथक प्रयास से,नित नए सोपान चढ़ो,
लेकर संकल्प तुम भी,एक नया इतिहास गढ़ो।
नए सत्र-की कक्षा में,स्कूल में नए दोस्त मिलेंगे,
पढ़ोगे खुब,तभी तो सफलता का चमन खिलेंगे।
इतिहास गवाह है शिक्षा,भविष्य को संवारता है,
प्यारे बच्चों तुम्हें,स्कूल का दहलीज पुकारता है।

सहपाठी का गुस्सापन,रूठे मन से प्यारी बातें,
स्कूल से बाहर आकर,भुल जाते हो सभी बातें।
यकीनन विद्यार्थीयों को,विद्यालय निखारता है,
प्यारे बच्चों तुम्हें,स्कूल का दहलीज पुकारता है।

नए कपड़े,पुस्तक कापी,के साथ स्कूल आओ,
राष्ट्रगान-गीत इश – वंदना को फिर से सुनाओ।
कहता है ‘अकिल’ समय सभी को सुधारता है,
प्यारे बच्चो तुम्हें,स्कूल का दहलीज पुकारता है।

अकिल खान.
सदस्य, प्रचारक “कविता बहार” जि-रायगढ़ (छ.ग.)

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