तुलसी पूजा पर दोहा
देवलोक से देवता, करते नित्य प्रणाम |
तुलसी का जग में सदा, सबसे ऊँचा नाम ||
जिस घर में तुलसी रहे, रोग रहें सब दूर |
उस घर में आती सदा, खुशहाली भरपूर ||
तुलसी घर में लाइए, करिये रोज प्रयोग |
स्वस्थ रहे तन-मन सदा, दूर रहे सब रोग ||
तुलसी को पूजें सभी, रोज नवायें शीश |
सम्मुख रहती है खड़ी , सबकी सच्ची ईश ||
तुलसी का पूजन करें, रोज सुबह अरु शाम |
तन को मिलती ताजगी, मन को दे आराम ||
घर-घर में सबके मिले , रामा-श्यामा नाम |
गुणकारी है औषधी, आती सबके काम ||
तुलसी की महिमा बड़ी, जग में अपरम्पार |
दूर करे सब व्याधियाँ, करती जन उपकार ||
हरीश बिष्ट “शतदल”
स्वरचित / मौलिक
रानीखेत || उत्तराखण्ड ||
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