आज कल अवसाद से गुजर रहा हूं मैं

*ग़ज़ल*

आज कल अवसाद से गुज़र रहा हूं मैं।
बिना तेरे निबाह! कैसे उमर रहा हूं मैं।

एक उम्र तक जिंदगी से गिला न रहा,
जिंदगी के साये से अब डर रहा हूं मैं।

तू था साथ,तो हसीन थे दिन रात मेरे,
अब पशोपेश से दो चार कर रहा हूं मैं।

नाकाम आशिक,सौदाई भी नहीं हूं मैं,
मेरी मर्ज़ी दीवानों सा अगर रहा हूं मैं।

आरज़ू है !कोई पुकारे लेके नाम मेरा,
हूबहू रहूं कि पहले नामवर रहा हूं मैं।

बाट जोह रहा हूं मैं किसी इंतज़ार का,
हैरान हूं `सुधीर` किस कदर रहा हूं मैं।

अवसाद=शोक
निबाह=गुज़ारा
पशोपेश=संघर्ष
हूबहू=निशां बाकी रहे
सुधीर=धैर्यवान

▫️ *सुधीर कुमार*

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