save nature

पर्यावरण पर कविता-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’

पर्यावरण पर कविता

save nature
prakriti-badhi-mahan

पर्यावरण खराब हुआ, यह नहिं संयोग।
मानव का खुद का ही है, निर्मित ये रोग।।

अंधाधुंध विकास नहीं, आया है रास।
शुद्ध हवा, जल का इससे, होय रहा ह्रास।।

यंत्र-धूम्र विकराल हुआ, छाया चहुँ ओर।
बढ़ते जाते वाहन का, फैल रहा शोर।।

जनसंख्या विस्फोटक अब, धर ली है रूप।
मानव खुद गिरने खातिर, खोद रहा कूप।।

नदियाँ मैली हुई सकल, वन का नित नाश।
घोर प्रदूषण जकड़ रहा, धरती, आकाश।।

वन्य-जंतु को मिले नहीं, कहीं जरा ठौर।
चिड़ियों की चहक न गूँजे, कैसा यह दौर।।

चेतें जल्दी मानव अब, ले कर संज्ञान।
पर्यावरण सुधारें वे, हर सब व्यवधान।।

पर्यावरण अगर दूषित, जगत व्याधि-ग्रस्त।
यह कलंक मानवता पर, हो जीवन त्रस्त।।


(सुजान २३ मात्राओं का मात्रिक छंद है. इस छंद में हर पंक्ति में १४ तथा ९ मात्राओं पर यति तथा गुरु लघु पदांत का विधान है। अंत ताल 21 से होना आवश्यक है।)


बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *