बेटी हूँ आपकी-भागवत प्रसाद साहू

बेटी हूँ आपकी

कोख मे पल रही , शीघ्र जग में आऊ।

नन्ही सी परी बन,जन जन को बतलाऊ।

हूं बेटी मैं आपकी,दूध का कर्ज चुकाऊ।
एक नही दो-दो कुल की,लाज बचाऊ।
बेटी हूं आपकी……………….।

पंख नही फिर भी,आसमान उड़ जाऊ।

मंगल पर रख कदम,दुनिया को हसाऊ।।

बेटा नही बेटी हु इस धरा की,आवाज दे चिल्लाऊ।
तू कहे ना कहे,भारत की शान बढ़ाऊ।
बेटी हूं आपकी………………..।

खेल में अग्रज रह, देश को पदक दिलाऊ।

प्रकृति से जुड़,बेटी की महत्ता बतलाऊ।

बेटी होती है घर आंगन की शान,सबको समझाऊ।
बेटी है तो कल है जन जन को बतलाऊ ।
बेटी हूं आपकी……………….।

भागवत प्रसाद साहू भटगांव वि.ख.बिलाईगढ़   

कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *