तुम पर लगे इल्जामातमुझे दे दो
तुम अपने अश्कों की सौगात
मुझे दे दो
अश्कों में डूबी अपनी हयात
मुझे दे दो
जिस रोशनाई ने लिखे
नसीब में आंसू
खैरात में तुम वो दवात
मुझे दे दो
स्याही चूस बन कर चूस लूंगा
हरफ सारे
रसाले में लिखी हर इक बात
मुझे दे दो
जमाने से तेरी खातिर
टकरा जाऊँगा
जो तुम पर लगे इल्जामात
मुझे दे दो
मैं सीने से लगा कर रख
लूंगा ‘राकेश,
गमजदा सब अपने वो जज्बात
मुझे दे दो।
राकेश कुमार मिश्रा
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद