अन्धविश्वास पर कविता

अन्धविश्वास पर कविता

तंत्र मंत्र के चक्कर की खबरे खूब आती है
अन्धविश्वास में अक्सर जानें ही जाती है।


सुन लो घटना हुआ जो कोरबा रामकक्षार है
अंधभक्त पुत्र ने कर दिया खुद माँ पर वार है
भ्रम जाल में फंसकर अपनी माँ को गंवा लिया
लहू भी पीया उसने माँ का मांस भी खा लिया


पड़ा रहा मति मार कर अबूझ अज्ञान गोरख में
माँ का सर चढ़ाया देवता पर एक मूरख ने
पूजा करते माँ को मार दिया  कुल्हाड़ी से
मंत्र सिद्धि में ग्यारह जाने गई थी दिल्ली के बुराड़ी से


मंत्र सिद्धि का जाल फैलाया है यहां यूँ ठगों ने
दौड़ रहा अन्धविश्वास विद्या कुछ रगो में
ना समझ पड़े रहते हैं क्यों झूठी सम्मोह में
ऎसी घटनाएं हुई हमीरपुर और दमोह में


ज्ञान विज्ञान से अज्ञानता मिलकर भगाओ जी
अंधश्रद्धा उन्मूलन से लोगो को बचाओ जी


राजकिशोर धिरही

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