हो मुरलिया रे / केवरा यदु “मीरा”
हो मुरलिया रे तँय का का दान पुन करे हस।
तँय का का दान पुन करे हस।
तोर बिना राहय नहीं कान्हा ओकरे संग धरे हस।
तँय का का दान पुन करे हस।।
सुन रे मुरलिया तोर भाग जबर हे कान्हा के संग रहिथस।
मोहना के हिरदय के बात ला अपने धुन मा कहिथस।
राधा सही तँय ओकर पियारी होठ मा तँय हा लगे हस।।
तँय का का दान पुन करे हस।
तँय का का-
राधा रूक्मनी के जिवरा जरथे कान्हा ला नइ छोंड़स।
कनिहा मा कभू हाथ मा बसे हस थोरको संग नइ छोड़स।
तोर जिनगानी श्याम बने हे सांस मा ओकरे बसे हस।।
तँय का का दान पुन करे हस।
तँय का का–
तोरे धुन मा राधा ला बलाथे जमुना भरे बर पानी।
मुरली के धुन सुन आगे गुवालिन सब हे तोरे दिवानी।
गोप गुवाल अऊ गइया बछरूसबो के मन मा बसे हस।।
तँय का का दान पुन करे हस।।
तँय का का-
ब्रम्हा बिष्णु शिव जी मोहागे तोरे धुन ला सुनके।
जहर के पियाला मीरा पी गे बंसी के धुन सुनके।
बंसी के धुन मा तोरे पिरित मा जग ला तँय मोहे हस।।
तँय का का दान पुन करे हस।
हो मुरलिया रे तँय का का दान पुन करे हस।।
तोर बिना राहय नहीं कान्हा ओकरे संग धरे हस।।
तँय का का दान पुन करे हस।।
तँय का का दान-
केवरा यदु “मीरा”