आओ मिलकर सब खेलें खेल

आओ मिलकर सब खेलें खेल

kavita

आओ मिलकर सब खेलें खेल,
छुक छुक करती यूं बनाएं रेल।
तनाव घटाएं और प्यार बढाएं,
मन साफ, दिल में न होता मैल।
आओ मिलकर सब खेलें खेल–
स्फूर्ति आती,पुलकित होता मन,
ताकत बढ़ती,मजबूत होता तन।
रगों में रक्त का सही संचार होता,
खेल से ही तंदुरुस्त होता हर जन।
आओ मिलकर सब खेलें खेल–
शुद्ध विचारों का आगमन होता,
द्वेष भावना का भी गमन होता।
खेल भावना से जीते जाते मैदान,
खेल खेलने के बाद अमन होता।
आओ मिलकर सब खेलें खेल–
रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ती,
आलस और सुस्ती पास न आती।
दमखम दिखाने का अवसर मिलता,
खेल से नाम होता व इज़्ज़त बढ़ती।
आओ मिलकर सब खेलें खेल–
शरीर लचीला होता व स्टैमिना बढ़ती,
और खाना हजम होने की पॉवर बढ़ती।
“नदीम”खेल से हार-जीत से रूबरू होते,
खेल से ही प्रतिस्पर्धा और दोस्ती बढ़ती।
आओ मिलकर सब खेलें खेल–

नदीम सिद्दीक़ी, राजस्थान

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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